क्या आप भी सामाजिक और राजनीतिक रोमांस का शिकार है?
देश भर में एक अलग प्रकार की चूल मची है। ऐसे कई गिरोह देश स्तर पर सक्रिय है जो आपके भावनाओं को सम्मान दिलवाने के नाम पर खुद राजनीतिक रोमांस कर रहे है। वह आपकी भावनाओं को दूध की तरह दूह कर खुद मलाई चाटेंगे।
आपको अछूत किसने बनाया?
या आप खुद अछूत बन गए?
अछूत बनाने का कार्य ऐसे ही लोगों ने भावनाओं के नाम पर भीड़ इकट्ठा कर के किए जिन्हें आपकी भावनाओं पर राजनीतिक और सामाजिक रोमांस करना था। किसी के कहने पर कोई अछूत कैसे हो सकता है? कोई कूड़ा बिन रहा है, कोई नाले साफ कर रहा है,कोई कपड़ा साफ कर रहा है, कोई फर्नीचर का काम कर रहा है, कोई चमड़े का काम कर रहा आदि आदि जैसे व्यवसायिक कार्य कर रहा है तो वह अछूत कैसे है?
भूख से बड़ा धर्म कुछ भी नहीं है। कोई अपनी भूख मिटाने के लिए यदि ये सभी कार्य कर रहा है तो क्या गलत है? या किसी को क्यों आपत्ति हो?जो उच्च वर्ग के लोग है उन सभी में भी बहुत बड़ा तबका ऐसा है जो ये सभी कार्य कर रहे है अपनी भूख मिटाने के लिए।
इस तरह का समाजिक विभेदन ही ये अहवाह्न करता है कि हिंदुत्व खतरे में है। मुस्लिमों को समानता नहीं दी जा रही है। इसमें सिख धर्म भी अब पीछे नहीं रहा है। नए नए दौर में नए तरह के भिंडरवाला उभर कर आ रहे है। ईसाई मिशनरी ये कार्य बहुत ही चलाकी और समझ से भीतर ही भीतर कर रहा है। जिसपर बहुत ही कम लोगों ने प्रश्न चिह्न खड़े किए है।
यदि किन्हीं को ये लगता है कि इस देश को मुस्लिमों से खतरा है तो उन्हें समझने की जरूरत है उससे कहीं ज्यादा खतरा देश में ईसाई मिशनरी से है। आखिर क्यों हिन्दू धर्म का बहुत बड़ी संख्या ईसाई धर्म में प्रवर्तित हो गए? इसका महत्वपूर्ण कारण है समाजिक मदभेत और समाजिक विभेदन।
इस 21वीं सदी के दौर में भी यह सब कार्य सामाजिक परिवर्तन के नाम पर धर्म परिवर्तन का रूप लेता नजर आ रहा है वो देश के विकास में भटकाव का कार्य करेगा। परिवर्तन का चोला ओढ़ा कर जो कार्य ये लोग कर रहे है उसका नाम उन्हें राजनीतिक रोमांस और सामाजिक रोमांस कर देना चाहिए। मजे तो उनके भावनाओं को सम्मान दिलाने के नाम पर ही उठा रहे है।
इन सभी चीजों पर व्याख्या और विवेचना की जरूरत है। आप इस राजनीतिक और समाजिक रोमांस का बलि का बकरा बनिए।🙂
दिव्यांश गांधी
02 मार्च 2023
दिल्ली विश्वविद्यालय
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