राजनीति अल्पकालिक धर्म है और धर्म दीर्घकालिक राजनीति है" : डॉ. लोहिया

डॉ. राम मनोहर लोहिया भारतीय राजनीति के ऐसे प्रखर विचारक थे, जिन्होंने अपने समय में राजनीति और सामाजिक न्याय को एक नई दिशा दी। उनके विचार न केवल तत्कालीन राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित करते थे, बल्कि वे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थायी मार्गदर्शक विचारों को प्रस्तुत करते हैं। उनकी दूरदृष्टि व्यापक और समावेशी विचार जिसमें समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति की भलाई सर्वोपरि थी।

डॉ.लोहिया के एक महत्वपूर्ण कथन, "राजनीति अल्पकालिक धर्म है और धर्म दीर्घकालिक राजनीति है", ने राजनीति और धर्म के बीच के संबंधों पर गहन चिंतन का मार्ग प्रशस्त किया। इस कथन के माध्यम से उन्होंने यह स्पष्ट किया कि राजनीति, जबतक जनता की सेवा और उनके हितों के लिए कार्य करती है, तबतक वह सही दिशा में है। लोहिया की दृष्टि में राजनीति का मूल उद्देश्य जनता के कल्याण और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना है, लेकिन वह अल्पकालिक हो सकती है क्योंकि इसमें तत्कालीन परिस्थितियों और चुनावी समीकरणों का असर होता है। वहीं, धर्म को उन्होंने दीर्घकालिक राजनीति के रूप में परिभाषित किया।

वे इस बात को भली-भांति समझते थे कि धर्म का गहरा प्रभाव लोगों के जीवन और सोच पर पड़ता है। धर्म केवल पूजा पद्धतियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति और समाज के नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों का भी संरक्षक है। धर्म राजनीति के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत हो सकता है, जो दीर्घकालिक रूप से समाज में नैतिकता, सामाजिक न्याय के विचारों को विकसित करता है।

लोहिया के इस विचार में संतुलन है, जहां वे धर्म और राजनीति को एक-दूसरे का विरोधी नहीं, बल्कि परस्पर पूरक के रूप में देखते हैं। वह यह मानते थे कि यदि राजनीति को समाज के दीर्घकालिक विकास के लिए सही दिशा देनी है, तो उसे धर्म और नैतिकता के मूल्यों का सम्मान करना होगा। इसी कारण से उन्होंने सामाजिक न्याय, समानता और मानवीयता के पक्ष में जोर दिया।

डॉ. लोहिया के विचार आज भी भारतीय राजनीति और समाज के लिए प्रासंगिक हैं। उनके विचारों से हमें प्रेरणा मिलती है कि राजनीति केवल सत्ता का खेल नहीं है, बल्कि यह जनसेवा का माध्यम है, और धर्म, यदि सही दिशा में हो, तो समाज के दीर्घकालिक उत्थान के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण हो सकता है।

डॉ. लोहिया के पुण्यतिथि पर कोटि कोटि नमन।🙏🌻
~~दिव्यांश गांध

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राजनीति अल्पकालिक धर्म है और धर्म दीर्घकालिक राजनीति है" : डॉ. लोहिया

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