ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2024: भारत 127 देशों में 105वें स्थान पर, चिंताजनक स्थिति

(तस्वीर स्रोत: Meta AI)

भारत, जो विश्व की सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों में से एक माना जाता है, ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2024 में 127 देशों में से भारत का 105वें स्थान पर है। यह आंकड़ा न केवल चिंताजनक है, बल्कि देश के खाद्य और पोषण सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।

2024 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 27.3 के स्कोर के साथ , भारत में भूख का स्तर गंभीर है। भारत जैसे देश में जहां आर्थिक विकास की बात जोर-शोर से की जाती है, वहां भूख और कुपोषण का यह स्तर बेहद दुखद है।भारत का GHI स्कोर चार घटक संकेतकों के मूल्यों पर आधारित है।

1) अंडरनरिशमेंट (कुपोषण): 13.7%जनसंख्या का आधा हिस्सा कुपोषित है।
2) चाइल्ड स्टंटिंग (बच्चों की लंबाई की कमी): 35.5%पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में से 10 प्रतिशत बच्चे बौने हैं।
3) चाइल्ड वेस्टिंग (बच्चों की वजन की कमी): 18.7% पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में से 10 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं।
4) बाल मृत्यु दर: 2.9% पाँचवें जन्मदिन से पहले ही बच्चों की मृत्यु हो जाती है।

(नोट:ये प्रस्तुत आंकड़े GHI की वेबसाइट से ली गई है।)

पिछले वर्ष ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) 2024 में भारत की 111वीं रैंक पर भारत सरकार ने इसे "गलत और भ्रामक" बताया है। सरकार ने दावा किया है कि GHI की गणना करने का तरीका दोषपूर्ण है और यह भारत की वास्तविक स्थिति को सही ढंग से नहीं दर्शाता। सरकार ने कहा कि यह इंडेक्स देश में भूख के वास्तविक स्तर को मापने के बजाय एक "त्रुटिपूर्ण" डेटा स्रोतों पर आधारित है।

GHI में अधिकांश आंकड़े बच्चों पर आधारित होते हैं, जबकि भूख और कुपोषण वयस्कों में भी होता है, जिसका उतना ध्यान नहीं रखा जाता। इस वजह से इसकी आलोचना भी होती है।

1 टिप्पणी:

  1. एक तरफ जहां इतनी दौलत छलछला रही है ,वही दूसरी तरफ भारत की यह वास्तविक सच्चाई जहाँ भूख और गरीबी का सबब अपने चरम सीमा को लांघे हुए है आख़िर कब तक ?
    हम और हमारे ज्ञानी राजनेता इस यूटोपिया से
    बाहर आयेंगे और जमीनी हकीकत से वाक़िफ़
    होंगे, आत्मप्रवंचना की गुंजाईश कब तक रहेगी
    कह नहीं सकते . वर्तमान भारत मे भूख और पोषकतत्व से युक्त भोजन की उपलब्धता एक
    घोर समस्या है, इसे नकारना हमारी छुद्रता और
    कुपोषित मानसिकता की ओर इशारा करता है.

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