भारत में यौन अपराध: चिंताजनक स्थिति और सुधार की आवश्यकता

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2021 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में बलात्कार के 31,677 मामले या प्रतिदिन औसतन 87 मामले दर्ज किए गए, जो 2020 के 28,046 मामलों से अधिक है, जबकि 2019 में 32,033 मामले दर्ज किए गए थे।

भारत में महिलाओं और बेटियों के खिलाफ यौन हिंसा एक गंभीर समस्या बनी हुई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रतिदिन औसतन 87 बेटियों का रेप होता है। यह आंकड़ा समाज की मानसिकता और न्याय प्रणाली की कमजोरियों की तरफ इशारा करता है।  

इस समस्या की जड़ में कहीं न कहीं समाज की मानसिकता भी है। हमारे समाज में महिलाओं को अभी भी पूर्ण सम्मान नहीं दिया जाता है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में दोषियों को सजा देने में देरी या सजा के अभाव से उनकी हिम्मत और बढ़ जाती है। यह स्थिति अपराधियों को निडर बनाती है, जिससे वे बेखौफ होकर इस तरह के घृणित अपराधों को अंजाम देते हैं।

हालांकि भारत में कानून और सजा का प्रावधान है, लेकिन न्याय मिलने में देरी और दोषियों के प्रति नरमी अक्सर देखा जाता है। रेप जैसे अपराधों में तेजी से न्याय दिलाने के लिए विशेष अदालतों का गठन, त्वरित सुनवाई और सख्त सजा का प्रावधान आवश्यक है। इसके अलावा, पुलिस और जांच एजेंसियों की भी जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए ताकि पीड़ितों को तुरंत और निष्पक्ष न्याय मिले।

महिलाओं की सुरक्षा के लिए शिक्षा और जागरूकता भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। समाज में जागरूकता फैलाने और मानसिकता में बदलाव लाने के लिए बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा से ही महिलाओं का सम्मान सिखाना जरूरी है। स्कूलों और कॉलेजों में यौन शिक्षा और कानूनों की जानकारी को पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। 

एनसीआरबी की रिपोर्ट एक चेतावनी है कि अगर हम अब भी नहीं चेते, तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है। समाज की मानसिकता में बदलाव, कानून का सख्ती से पालन और महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए शिक्षा और जागरूकता जरूरी है। सरकार, समाज और हर नागरिक को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि बेटियों को सुरक्षित माहौल मिल सके और वे बिना किसी डर के जीवन जी सकें।
~दिव्यांश गांधी

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