ट्रेन की यात्रा....जिंदगी में हो रहे उथल पुथल की ओर इशारा करती है।
ट्रेन की यात्रा.....
जब कभी भी ट्रेन से यात्रा करता हूं तो अपनी जिंदगी में हो रहे उथल पुथल की ओर इशारा करती है। वाकई में जिंदगी भी इसी छुक छुक छुक... चलती हुई ट्रेन की तरह है। आप जितने पैसे लगाएंगे उतने अच्छे डब्बे में सफर कर सकेंगे ठीक उसी तरह आप अपनी भागदौड़ भरी जिंदगी में जितना मेहनत करेंगे उतना ही अच्छा स्थान प्राप्त कर सकेंगे।
ट्रेन जब चलती है तो डब्बे भी हिलोरे लेने लगती है ठीक उसी तरह इस भागदौड़ की जिंदगी में सफलता प्राप्त करने के लिए आपके साथ कई विकट परिस्थिति आएगी और आप मन भी इसी डब्बे की तरह हिलोरे मारेगी और मन कहेगा न जाने आगे क्या होगा? लेकिन सफलता की सीढ़ी छुक छुक छुक.... चलती ट्रेन की तरह जरूर आगे बढ़ते जाए मंजिल खुद ब खुद मिल जाएगी। ट्रेन का सफर वाकई में हमें जीवन के उतर चढ़ाव के बारे में सिखाता है। कब कहा क्या करना है?
छुक छुक छुक...... चलती ट्रेन जब पटरी बदलती है तो वह यह संदर्भित करती है कि आपको कब कहा किस प्रकार का निर्णय लेना है यह आना चाहिए। नहीं तो दुर्घटना घट सकती है। यदि आप अपने जिंदगी में सही निर्णय ले पाने में असक्षम है तो दुर्घटना घटना निश्चित है। इसलिए खुद को इस काबिल बनाए कि आप एक अच्छे डिसीजन मेकर बन सके और सफलता की ट्रेन को आसानी को चला सके और अपने गंतव्य स्थान अर्थात सफलता के उच्चतम शिखर पर पहुंच पाए।
Absolutely right ☺
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