क्या गाॅंधी जी के ग्राम स्वराज के विचार से ग्रामीण समस्याओं से निपट सकते है?

राजस्थान से प्रकाशित होने वाली पत्रिका डिजिटल भास्कर पत्रिका न्यूज में मेरे द्वारा लिखे गए छोटे से लेख *क्या सरकार को स्मार्ट शहर के बजाय स्मार्ट गाँव बनाने चाहिए?* को  सम्पादकीय पेज में प्रकाशित किया गया था! 
    हमारे देश के युवाओं में असंतोष की एक गंभीर समस्या हैं। शायद असंतोष की यह गंभीर समस्या अशिक्षा,स्वास्थ्य,गरीबी,भ्रष्टाचार,असमानता,शोषण,राजनीतिक सांठ-गांठ के रूप में हैं। हमारें देश में बेरोजगारों,गरीबों,शोषितों,अशिक्षितों आदि  लोगों को उसे असली जामा के नाम पर नकली जामा पहनाकर आतंकवाद और नक्सलवाद के नाम पर धन रुपये का प्रलोभन देकर उन्हें इस्तेमाल किया जाता है।

   क्या देश की सरकार इस समस्या से निपट सकती हैं?
यदि हमारे देश की सरकार  और हमारे देश के लोग चाह लेंगे तो समस्या का समाधान हो सकता हैं। देश की सरकार सर्वप्रथम महात्मा गाँधीजी के " मेरे सपनों भारत" को अक्षरशः लागू करें और गाँधी जी अनुसार पहले एक ऐसे गाँव को मॉडल गाँव बनाये जिनमें एक गाँव की उसकी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति कर उन गरीब,बेरोजगार,शोषित,अशिक्षित लोगों को लघु कुटीर उद्योग के माध्यम से रोजगार मुहैया कराए। जैसे- तेल- साबुन,सर्फ - शैम्पू, टूथपेस्ट-मंजन,जैविक खाद्य,जैव रसायन,दवाई(आयुर्वेदिक दवाई),औषधीय पौधे की खेती,,मसाले की खेती के उससे मसाले का निर्माण,सूट काटने से लेकर प्रत्येक आदमी को कपड़ा  बुनना आदि। ये कुछ लघु कुटीर उद्योग के जीवंत उदाहरण हैं।

लघु कुटीर उद्योग स्थापित करने से क्या होगा?
ये सारी मूलभूत सुविधाओं के उपलब्ध होने का मतलब है कि "मुनाफों के धन कुबेर" का आधिपत्य समाप्त हो जाएगा और देश में आम जनता का कायम राज स्थापित हो जाएगा। 

गाँव का स्वरूप और संरचना
 गाँधीजी कहा करते थे "भारत की आत्मा गाँवो में बसती हैं" । मतलब पहले एक गाँव को उस गाँव की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति कर उस गाँव को मॉडल गाँव बनाये। फिर दूसरे गाँव को भी उसकी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति कर उसे मॉडल गॉव बनाए। इस प्रकार से सारे गाँव को उसकी मूलभूत आवश्कयताओ की पूर्ति कर उसे एक आदर्श गॉव बनाए। जिससे हमारा गाँव स्मार्ट गाँव जैसा हो जाएगा| इससे बेरोजगार युवाओं में असंतोष के भाव में कमी आएगी! इस प्रकार लघु कुटीर उद्योग के माध्यम से गाँव का भी स्वरूप शहरों जैसा हो जाएगा! यदि गाँव स्मार्ट हो गए तो शहर भी खुद ब खुद स्मार्ट शहर में तब्दील हो जाएंगे!
  ~दिव्यांश गाॅंधी
पूर्व छात्र जवाहर नवोदय विद्यालय जमुई(बिहार)
पूर्व छात्र पटना कॉलेज (राजनीति विज्ञान विभाग)
वर्तमान छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय (हिन्दी पत्रकारिता)

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