नीतीश कुमार जब से मुख्यमंत्री बने हैं वह इसी कुर्सी पर ठहर गए है।
बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार पढ़े लिखे और अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं। सड़क, विधि व्यवस्था,स्कूली शिक्षा में सुधार, महिला सशक्तिकरण आदि में सुधार की वजह से ही सुशासन बाबू के टैग के साथ लगातार मुख्यमंत्री पद पर बने हुए हैं।
वर्तमान में विधि व्यवस्था को लेकर भी जो सवाल उठ रहे हैं वह भी जायज है। अभी इसमें और भी सुधार की आवश्यकता है। सड़क व्यवथा को और दुसरुत करने की जरूरत है ताकि जल्दी जल्दी पुल या सड़क ध्वस्त न हो।
जरा गौर कीजिए जब से नीतीश कुमार बिहार के शासन व्यवस्था को संभाले तब से लेकर आज तक वह इसी कुर्सी पर ठहर गए है। इन्हें कोई डिगा नहीं सका। आज हमलोग पलटुआ, पलटू आदि शब्दों के संबोधन से इनकी आलोचना करें या विरोध दर्ज करें यह हरेक व्यक्ति का अपना व्यक्तिगत मामला हो सकता है।
निजी क्षेत्र के नौकरियों का सृजन करने में नीतीश कुमार की सरकार असफल रहीं है। लेकिन सड़क, विधि व्यवस्था और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन ने ही उन्हें सुशासन बाबू का तमगा भी दिया है। भाजपा के साथ 20 सालों से ज्यादा का गठबंधन है। इसके अलावा बिहार में कई अन्य पार्टियां भी है। सभी पार्टियों में बोलने वाले, काम करने वाले,संगठन को आगे बढ़ाने वाले कई लीडर है। इन सभी के बावजूद बिना किसी किंतु परंतु के इनकी लोकप्रियता के करीब कोई नही पहुंच पाया। यदि कोई पहुंच पाता तो आज नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के कुर्सी पर इतने इतमीनान से काबिज नही रहते।
बिहार विधान सभा सदन में शिक्षकों और स्कूली शिक्षा के संदर्भ में नीतीश कुमार जो कुछ बोल।रहे हैं, उसमें क्या गलत है? सदन के विपक्षी दलों के लोगों को शिक्षा के इस मुद्दे पर नीतीश कुमार के सराहनीय कार्य का स्वागत करना चाहिए।
नीतीश कुमार यह कह रहे हैं कि स्कूल का समय सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर के 04 बजे तक होगा और सभी शिक्षकों को 15 मिनट पहले विद्यालय आना होगा और सभी बच्चों के जाने के बाद शिक्षकों को विद्यालय से जाना होगा।
बाकी वीडियो में नीतीश कुमार को सुनिए यदि आपको आपत्ति है तो फिर बताइए। (वीडियो देखने के लिए फेसबुक और X (ट्वीटर) का सहारा ले सकते हैं।)
एक और गंभीर बात यह कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था धान के उस नन्हें पौधों की तरह है जिसको एक स्थान से उखाड़ कर दूसरे स्थान पर नही लगाए तो वह धान के रूप में तैयार नहीं होता है। सामान्यतः ठीक उसी तरह से बिहार के बच्चे जब तक पलायन कर के दूसरे अन्य राज्य नही जाते हैं तब तक उसकी शिक्षा अधूरी मानी जाती है।
देर से ही सही लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में इस तरह के बदलाव बिहार को आगे ले जाएगा और इसका दूरगामी परिणाम आगे देखने को मिलेगा। इसलिए हम सभी को इस फैसले का स्वागत करना चाहिए।
~~दिव्यांश
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Absolutely right
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