व्यवहारिक ज्ञान शिक्षा के साथ चरित्र निर्माण करेगी....
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शिक्षा किसी राष्ट्र का रीढ़ है बिना शिक्षा के कोई भी राष्ट्र सक्षम और शक्तिशाली नहीं हो सकता है| आज भी शिक्षा के क्षेत्र में शैक्षणिक संस्थान में एक नए सिरे से कई बदलाव की नितांत आवश्यकता है|
इसके लिए बच्चों और शिक्षकों के बीच परस्पर वार्तालाप और संवाद स्थापित कर हर बच्चों के अभिभावकों तक पहुंचने की अत्यंत आवश्यकता है| शिक्षक विद्यालय के अंदर बच्चों के क्रियाकलापों को देखते है| लेकिन शिक्षकों व विद्यालय प्रशासन की एक जिम्मेदारी यह भी होनी चाहिए की बच्चो के अभिभावक के माध्यम से बच्चों के घर पर के क्रियाकलापों से अवगत हो| ताकि उसमें जो अवगुण है उसे खत्म किया जा सका|
एक सभ्य और शिक्षित समाज के बिना राष्ट्र का निर्माण संभव नहीं है| सभ्य और शिक्षित समाज के निर्माण हेतु बच्चों को उनके अवगुणों की पहचान कर उसे नए सिरे से आगे बढ़ने को लेकर शिक्षक और अभिभावक की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए| बच्चें यदि सभ्य होंगे वो विद्यालय परिसर में सकारात्मकता के माहौल को बनाना के लिए अपनी भूमिका अदा करेंगे|विद्यालय परिसर में शैक्षणिक वातारण को और अच्छा बनाने के लिए अभिभावकों की भूमिका अहम होनी चाहिए|
बच्चों की उनकी योग्यता, रचनात्मकता, क्षमता का आकलन कर उसे उस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करनी चाहिए| यह कोई जरूरी नहीं है कि बच्चे सिर्फ पढ़ाई में ही अच्छे कर पाए हो सकता है वह बच्चा खेल कूद, गाने, लेखन, डांस, काव्य वाचन आदि में अच्छा कर पाए| इन चीजों का आकलन शुरू से ही करने की जरूरत है|
रोजगार वाली शिक्षा इसकी शुरुआत विद्यालय स्तर से भी की जा सकती है| शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए थिओरी बेस्ड शिक्षा के साथ प्रैक्टिकल शिक्षा को भी अनिवार्य रूप से लागू करवना और यह शिक्षा रोजगार प्रद शिक्षा हो। इसमें पढ़ाई के साथ साथ छात्र आत्मनिर्भर होंगे और वह अपनी पूर्ति रोजगार प्रद शिक्षा के माध्यम से खुद कर सकेंगे ।
बच्चों को थ्योरी बेस्ड शिक्षा के साथ साथ उन्हें प्रैक्टिकल शिक्षा भी देनी चाहिए| बच्चों को पढ़ाई के साथ साथ आत्मनिर्भर बनाने का भी कार्य सरकार के ओर से करना चाहिए| इन सब चीजों से बच्चो के अंदर नए विचार व इनोवेटिव आइडिया उत्पन्न होंगे और हो सकता है हमे नए आविष्कार भी देखने को मिल सकते है|
अकसर छात्रों के अंदर मानसिक तनाव देखने को मिलता है| वैसे छात्र जिनके बारे में पता हो उन छात्रों को अलग से टाइम देकर शिक्षकों और अभिभावकों को उनके मानसिक तनाव से दूर करना |
व्यवहारिक Education को स्कूल में लागू किया जाना चाहिए ताकि बच्चों के अंदर चरित्र, व्यवयहार व अच्छे संस्कार निर्माण के साथ अच्छी शिक्षा प्राप्त हो।
शिक्षा सभी के लिया अनिवार्य हो चाहे वह ग्रामीण इलाकों से आने वाले बच्चें हो| और विद्यलय में सुधार हेतु ज्ञान आधारित शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए न की डिग्री आधारित शिक्षा को| यह शिक्षा ज्ञान आधारित शिक्षा के साथ साथ बच्चो के अंदर अच्छे चरित्र का निर्माण करेगी|
- दिव्यांश गांधी
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