खुद को अच्छे से समझ लेना ही जीवन के पटरियों पर विजय हासिल करने जैसा है

मानसिक और शारीरिक रूप से टूटना बिखरना जीवन का पर्याय है. उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है टूटकर , बिखरकर खुद को नए रूप में पाना. सामने वाले के लिए खुद को अच्छा और सही साबित करने के लिए बहुत ज्यादा वक्त बर्बाद हो चुका होता है.कीमती समय बर्बाद करने के बाद कहीं बाद में जाकर समझ आता है कि ये हमारी बेवकूफी है बेवजह हम खुद को अच्छा और सही साबित करने में अपने खूबसूरत और कीमती समय को बर्बाद कर रहे थे.

आप किस स्वभाव के व्यक्ति है? आपके विचार कैसे है? आप किसी के लिए कितने महत्वपूर्ण है या हो सकते है? इस तरह के तमाम सवालों के जवाब आप स्वयं है. हद से ज्यादा टूटने बिखरने के बाद मनुष्य को एकांत चाहिए होता है. उसी एकांत में रचने बसने लगता है और उसी एकांत में वह खुद को और बेहतर समझने में अपना कीमती समय लगा देता है कि वह क्या है?. खुद को अच्छे से समझ लेना ही जीवन के पटरियों पर विजय हासिल करने जैसा है. जहां जीवन के इन पटरियों पर विचार व संघर्ष रूपी रेलगाड़ी दौड़ती है. 

मेरा मानना है कि मनुष्य से ज्यादा विवेकशील और बुद्धिमान जानवर है. वह मनुष्य के व्यवहार और आचरण से बहुत कम समय में परिचित हो जाता है और वह उसे अपना मालिक समझ कर उसकी वफादारी करता है. वाकई में मनुष्य खुद को समझदार बुद्धि वाला समझता है लेकिन उसके विचार जानवर के समान भी नहीं है. कई बार मनुष्य को मनुष्य कहने में शर्म आती है.

निष्कर्ष:- टूटने बिखरने को अपनी मजबूरी नहीं बनाए इसे खुद के लिए मजबूती बनाए. क्योंकि यह आपको नए रूप में परिवर्तित करता है. जीवन के कठिनाइयों से बिना घबराए लक्ष्य की ओर अग्रसर रहे. खुद को सामने वाले के लिए यह साबित करना छोड़ दे आप कितने सही और अच्छे व्यक्ति है. जो समझदार है जो समझने वाले है वो आपसे भलीभांति परिचित हो जायेंगे. 

आप क्या है? कैसे है? किस रूप में है? इन सभी सवालों के जवाब आप स्वयं है. दूसरों को बेहतर समझने से अच्छा है कि अपना कीमती समय खुद को समझने में लगा दें यही आपके सफलता के मार्ग को प्रशस्त करेगा.

  -दिव्यांश गाॅंधी
  

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